श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है । श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं । प्राणायाम निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ किया जाए ।
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ ।
।। न्यास: ।।
न्यास - इसका प्रयोजन है-शरीर के सभी महत्त्वपूर्ण अंगों में पवित्रता का समावेश तथा अंतः की चेतना को जागृत करना ताकि देव-पूजन जैसा श्रेष्ठ कृत्य किया जा सके । बाएँ (Left) हाथ की हथेली में जल लेकर दाहिने (Right) हाथ की पाँचों उँगलियों को उनमें भिगोकर निचे बताए गए स्थान पर मंत्रोच्चार के साथ स्पर्श करें ।
ॐ वाङ् मे आस्येऽस्तु । (मुख को)
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु । (नासिका के दोनों छिद्रों को)
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु । (दोनों नेत्रों को)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु । (दोनों कानों को)
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु । (दोनों भुजाओं को)
ॐ ऊर्वोमे ओजोऽस्तु । (दोनों जंघाओं को)
ॐ अरिष्टानि मेऽङ्गानि, तनूस्तन्वा मे सह सन्तु । (समस्त शरीर पर)
आत्मशोधन की ब्रह्म संध्या के उपरोक्त पाँचों कृत्यों का भाव यह है कि साधक में पवित्रता एवं प्रखरता की अभिवृद्धि हो तथा मलिनता-अवांछनीयता की निवृत्ति हो । पवित्र-प्रखर व्यक्ति ही भगवान् के दरबार में प्रवेश के अधिकारी होते हैं ।
।। देवी महालक्ष्मी आव्हान ।।
भावना करें कि साधक की प्रार्थना के अनुरूप माँ लक्ष्मी की शक्ति वहाँ अवतरित हो व स्थापित हो रही है ।
Take flowers or unbroken grains of rice in your hands. Meditate upon the goddess, saying:
या सा पदमा सनसथा विपुला काती ताती पदमा पत्रायत अक्सी
गम भीरा वर्तना भिस्ताना भरना मिटा सुभरा वस्त्रोत्तारिया
या लक्ष्मीर दिव्या रूपा इर्मानी गाना खा सितैह सना पिताहेमा कुम्भ एह
सा नित्यं पदमा हस्त मामा वास्तु ग्रहे सर्वा मंगल्यायुकता स्वः
YA SA PADMA SANASTHA VIPULA KATI TATI PADMA PATRAYAT AKSI
GAM BHIRA VARTANA BHISTANA BHARANA MITA SUBHRA VASTROTTARIYA
YA LAKSMIR DIVYA RUPA IRMANI GANA KHA CITAIH SNA PITAHEMA KUMBH AIHSA NITYAM PADMA HASTA MAMA VASATU GRHE SARVA MANGALYAYUKTA SWAHA
Translation - Laksmi who is seated on a lotus, has eyes as wideas lotus petals, massive hips, deep navel, and wears white upperand lower garments, wears jewelry, is bathed from a golden pitcher, carries a lotus in her hand, and is associated with every auspicious sign, let her residein my house.
Drop the flowers and the rice at the feet of the goddess.
।। गणेश ध्यान ।।
भावना करें कि साधक की प्रार्थना के अनुरूप श्री महा गणेशजी की शक्ति वहाँ अवतरित व स्थापित हो रही है ।
Take flowers or unbroken grains of rice in yourhands. Meditate upon the goddess, saying:
विनायकं हेमावर्षम पशांकुशाधाराम विभुं ध्ययोर गजाननं देवं बाला चन्द्र समप्रभाम
ॐ सहस्र-शीर्षा पुरुषः, सहसराक्शः सहसरपाथ, सह भूमिम विश्वठो वृत्वा त्याथिष्ट-द्धाशान्गुलम
श्री विनायकाय नमः ध्यानात ध्यानं समर्पयामि.
Ganesh who is seated on a Rose and is associated with every auspicious sign, let him residein my house.
Drop the flowers and the rice at the feet of the god.
।। गुरु ध्यान ।।
गुरु परमात्मा की दिव्य चेतना का अंश है, जो साधक का मार्गदर्शन करता है । सद्गुरु के रूप में पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी का अभिवंदन करते हुए उपासना की सफलता हेतु गुरु आवाहन निम्न मंत्रोच्चारण के साथ करें ।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि ।
माँ अम्बा व गुरु सत्ता के आवाहन व नमन के पश्चात् देवपूजन में घनिष्ठता स्थापित करने हेतु पंचोपचार द्वारा पूजन किया जाता है । इन्हें विधिवत् संपन्न करें । जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप तथा नैवेद्य प्रतीक के रूप में आराध्य के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं । एक-एक करके छोटी तश्तरी में इन पाँचों को समर्पित करते चलें ।
ये पाच वास्तुये देवी माँ के समक्ष रखे
जल का अर्थ है - नम्रता-सहृदयता ।
अक्षत का अर्थ है - समयदान अंशदान ।
पुष्प का अर्थ है - प्रसन्नता-आंतरिक उल्लास ।
धूप-दीप का अर्थ है - सुगंध व प्रकाश का वितरण,
पुण्य-परमार्थ तथा नैवेद्य का अर्थ है - स्वभाव व व्यवहार में मधुरता-शालीनता का समावेश ।
ये पाँचों उपचार व्यक्तित्व को सत्प्रवृत्तियों से संपन्न करने के लिए किये जाते हैं । कर्मकाण्ड के पीछे भावना महत्त्वपूर्ण है ।
।। दीपमालिका पूजन ।।
किसी पात्रमें 5, 7, 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी MahaLakshmi के समीप रखकर उस दीप-ज्योतिका “ओम दीपावल्यै नमः” इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करे-
त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्दरो विधुदग्निश्च तारकाः |
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ||
Deepamaalika दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) गणेश Ganesha, महालछ्मी MahaLaxmi तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह अलन्कृइत करे।
।। संकल्प ।।
दाहिने(Right) हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर निम्नांकित रूप से संकल्प करें.
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विन्ष्णुराज्ञ्या प्रवर्तमानश्य. हे देवी जगदम्बा मे भारत के ____________ राज्य(Name of your State) के __________ वासरे( Name of your city) ______________ गामे(Name of your town) रहता / रहती हु, आज ___________ मासे(Name of all मासे मतलब [त्री, कुर्तिका, भाद्रपद]), के ____________ पक्षे (कृष्ण / शुक्ल) ______________ तिथि (एकं, बिज, एकादशी etc..) ____________ वार (सोमवार, सनिवार etc..) को मे ____________ नामा अहम् (Name of your) ___________ गोत्रौत्पन (Your Gotra Name eg. Kashyab, Haritatsat or Gautam), मे यह संकल्प करता / करती हु __________________________ (आप अपनी इछाये देवी के समक्ष कहो)(Tell your wishes, the purpose for which you are taking this sankalp) लेता / लेती हु. और फिर हाथ मे लिया हुआ जल और फुल महालक्ष्मी और गणेशजी के समक्ष अर्पण करो. इस तरह से आपका संकल्प पूरा हुआ.
या फिर ये संकल्प भी कर सकते है
।। रदय संकल्प ।।
मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी (MahaLakshmi) की कृपा प्राप्त करने के लिये आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा/रही हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।
यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी (Shree Ganesha-Laxmi) के समीप छोड दें।
।। आगे की विधि ।।
संकल्प लेने के बाद देवी का ध्यान करे और इसके बाद एक एक करके गणेशजी (Ganesha), मां लछ्मी (Mata Laxmi), मां सरस्वती (Accounts Books/Register/Baheekhaata), मां काली (Ink Pot Poojan ), धनाधिश कुबेर Lord Kuber(Tijori/Galla), तुला मान की पूजा करें। यथाशक्ती भेंट, नैवैद्य, मुद्रा, वस्तर आदि अर्पित करें। फिर आपको जो कोई देवी का पाठ(जेसे की लक्ष्मी कवच, लक्ष्मी चालीसा, श्री शुक्तं, श्री लक्ष्मी शुक्तं इत्यादि...) या फिर जाप रुपे कोई भी देवी का मंत्र(ॐ श्री महालछ्मयै च विदमहे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लछ्मी प्रचोदयात् ॐ) कर सकते है. हर एक पाठ या एक जाप माला समाप्त होने के बाद समष्क रखे हुए कलश मे फुक मारे और अत्तर(perfume bottel) की एक एक बुंद लक्ष्मी गणेश और कलश पर लगावे. जब आपके पाठ या जाप 11 बार पूर्ण होजाए उसके पश्चात वह पानी से भरा हुआ कलश घर मे रखे हुए पानी के मटके मे ड़ाल दो, और सभी घर के सदसिय उस पानी को पिए, अगर आपको उस जल से अपने घर को भी पवित्र और देवी से रक्षा कवच घर मे करना चाहते है तो अंत मे थोडा जल बचाकर रखे और घर के सभी कोने, दीवारों और दुवार के उमरा पर वो अभिमंत्रित किया हुआ जल छिडके.(Sprinkle the water every where in your home walls and Door's).उसके बाद कलश मे से निकला हुआ सिका और हल्दी का घटिया लेकर घर या दुकान की तिजोरी मे रखे, उसके बाद माता लक्ष्मी और गणेशजी की आरती करे और अंत मे गुंगल धुप करे और पुरे घर या दुकान के सभी सदसियो को वो धुप दे.
नोट:-ये उपासना दीपावली के पाच दिन तक आप कर सकते है अगर आपको चमत्कारी फल प्राप्त करना हो तो.
।। जप या पाठ करते वक्त क्या ध्यानमे रखे ।।
पाठ या जाप करते समय होठ हिलते रहें, किन्तु आवाज इतनी मंद हो कि पास बैठे व्यक्ति भी सुन न सकें । पाठ या जाप की प्रक्रिया कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों को धोने के लिए की जाती है ।
अगर आप पाठ या जाप मे से कोई बी एक क्रिया कर रहे हो, तो वह आपको हर रोज 11 बार पाठ पड़ना(Reading) या जाप की 11 मालाए करनी होंगी.
।। आरती और पुष्पांजलि ।।
गणेश, लक्ष्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती Aarati करें। उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, शमा Kshamaa प्रार्थना करें।
।। संकल्प छोड़ने की विधि - विसर्जन ।।
संकल्प छोड़ने के लिए दाया हाथ (Right Hand) मे चावल ले. फिर गणेश एवं महालक्ष्मी प्रतिमाको छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए निम्न मंत्रसे विसर्जित करे-
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजमादाया मामकीम् |
इष्टकामसमृध्दयर्थं पुनरागमनाया च ||
छोटा मंत्र:- गछ गछ या देवी/देव तू गच्यान्ति..
अपने भावना अनुसार देवी महालक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति के समक्ष क्षमा याचना करे की अगर मेरे से कोई भूल या कोई टूटी रहगयी हो तो मुझे नादान , नासमाज बालक मानकर क्षमा करे और मेरे परिवार पर सदेव आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे.
नोट:-अगर आपको को देवी के मूर्ति मे से प्राण को वापसी नहीं भेजना हो तो देवी की मूर्ति या छवि को लेकर मंदिर मे रखे और फिर अक्षत(Rice) को पाठ पर छोड़ दे.
।। ध्यान केसे करे ।।
मन को ध्यान में नियोजित करना होता है । साकार ध्यान में देवी माँ के अंचल की छाया में बैठने तथा उनका दुलार भरा प्यार अनवरत रूप से प्राप्त होने की भावना की जाती है । निराकार ध्यान में देवी का स्मरण करने से उनके के स्वर्णिम किरणों को शरीर पर बरसने व शरीर में श्रद्धा-प्रज्ञा-निष्ठा रूपी अनुदान उतरने की भावना की जाती है, जप और ध्यान के समन्वय से ही चित्त एकाग्र होता है और आत्मसत्ता पर उस क्रिया का महत्त्वपूर्ण प्रभाव भी पड़ता है ।
(उपासक)
लिखित,
कलपेश दावे.